दुनिया में एक और ताजमहल जो गरीबो का ताजमहल है….

दुनिया के सात अजूबों में ताजमहल का नाम शुमार है भारत के आगरा में स्थित मोहब्बत की निशानी को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि यह ताजमहल न सिर्फ आगरा में है बल्कि दुनिया के एक और जगह में भी स्थित है यह बात आप को जितनी अटपटी लग रही होगी उसके पीछे की कहानी उतनी ही दिलचस्प हैं।

यह ताजमहल कहीं और नहीं बल्कि भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में स्थित है। बांग्लादेश भारत से ही अलग हुए एक छोटा सा देश है। यह ताजमहल हैं जो असली ताजमहल की कॉपी कहा जाता है, हालांकि इसका निर्माण सदियों पहले नहीं बल्कि आज से 12 साल पहले सन् 2008 में शुरू किया गया था और 5 साल में इसे बनाकर तैयार कर दिया गया था। इसका निर्माण बांग्लादेश के अमीर फिल्म निर्माता अहसानुल्लाह मोनी ने 56 मिलियन डॉलर में किया था। अहसानुल्लाह मोनी बांग्लादेश के बहुत ही अमीर फ़िल्म निर्माताओ में से एक है। हालांकि इसके बनवाने के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है, कहा जाता है कि अहसानुल्लाह चाहते थे कि बांग्लादेश के जो लोग पैसे की कमी के वजह से असली ताजमहल को देखने के लिए भारत नहीं जा सकते वह इसे यहां देख सकते हैं इसकी वजह से कई लोग इसे गरीबों का ताजमहल भी कहने लगे हैं। इसका साइज और डिजाइन काफी हद तक आगरा के ताजमहल से मिलता है और कहा जाता है कि इसे बनाने के लिए इटली से संगमरमर और ग्रेनाइट मंगवाए गए थे इसके साथ ही इस में हीरे का इस्तेमाल किया गया है कहा जाता है कि यह हीरे बेल्जियम से मंगाए गए थे वहीं गुम्मत को बनाने में 160 किलो पीतल का इस्तेमाल किया गया। के लोग इसे सच नही मानते है। पहली नजर देखने में यह ताजमहल असली ताजमहल की हूबहू कॉपी नजर आती है लेकिन इसमें नीले और गुलाबी रंग इसे प्यार की असल निशानी आगरा के ताजमहल से अलग रखते हैं।


यह प्रतिरूप बांग्लादेश की राजधानी ढाका से लगभग 29 किलोमीटर दूरी पर स्थित एक स्थान सोनार गांव में है, ढाका घूमने गए लोग इसे वहां जा के देख सकते है, इसे देखने के लिए वह टिकट भी काटा जाता है जिसका मूल्य बहुत अधिक हैं। अपने मूल के विपरीत इस भवन के निर्माण में केवल 5 वर्ष लगे ही लगे थे।
इस प्रतिकृति के निर्माण का भारत में विरोध किया गया। बांग्लादेश स्थित भारतीय उच्चायोग का कहना है कि अहसानुल्लाह मोनी के विरुद्ध ताजमहल भवन के कॉपीराइट के उल्लंघन का मुकदमा दायर करेगा। आगरा का ताजमहल लगभग 300 वर्ष पुराना है। इसे साहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनवाया था यह पूरे विश्व में प्यार की निशानी का बहुत ही खूसूरत सा प्रतीक है, पूरे दुनिया से सैलानी इसे देखने के लिए भारत आते है।

Amit Shrivastava

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