क्या आपको पता है कि मनुष्य के जीभ में जब भी चोट लगती है तो वह जल्दी ठीक हो जाती है ऐसा मनुष्य के मुँह में मौजूद लार की वजह से होता है मनुष्य की लार में जीवाणु रोधक तत्व पाए जाते है जो कि घाव को जल्दी भरने में मदद करता है।

मनुष्य की लार 98% पानी और 2% अन्य यौगिक जैसे ईलेट्रॉलाइट, बलगम, जीवाणुरोधी यौगिको तथा एंजाइम होते हैं।एक आम धारणा है कि मुंह में निहित लार प्राकृतिक कीटाणुनाशक होते हैं, जो लोगों की इस धारणा को बढ़ावा देते हैं की घावों को चाटना लाभकारी है। गैनेस्विल्ले स्थित फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं ने चूहों के लार में एक तंत्रिका विकास कारक एनजीएफ (NGF) नामक प्रोटीन की खोज की है। एनजीएफ (NGF) के साथ भिगोये गए घाव बिना इलाज किये और बिना चाटे हुए घावों के मुकाबले दुगनी तेजी से भरे; अतः लार कुछ प्रजातियों में घाव भरने में मदद कर सकती है। एनजीएफ (NGF) मानव लार में नहीं पाया जाता; हालांकि शोधकर्ताओं ने पाया कि मानव लार में ऐसे जीवाणुरोधी एजेंट के रूप शामिल हैं जैसे स्रावी आईजीए (IgA), लैक्टोफेरिन, लाइसोज़ाइम और पैरौक्सीडेज यह दिखाया नहीं गया कि मानव द्वारा घावों को चाटना उन्हें रोगाणुओं से मुक्त करता है, परन्तु संभावना है कि चाटना बड़े संदूषकों जैसे धूल को निकाल कर घाव को साफ करने में मदद करता है और रोगजनक पदार्थों को झाड़कर सीधे मदद कर सकता है। इसलिए, चाटना रोगाणुओं को साफ़ करने का तरीका है और यदि जानवर या व्यक्ति के पास साफ पानी उपलब्ध न हो तो यह उपयोगी भी है।

प्रतिदिन एक स्वस्थ व्यक्ति द्वारा उत्पादित किये गए लार की मात्रा के बारे में बहुत मतभेद हैं; अनुमान सीमा प्रतिदिन 0.5 लीटर है जबकि यह आम तौर पर स्वीकार किया गया है कि नींद के दौरान मात्रा लगभग शून्य तक गिर जाती है। मनुष्यों में, उप-जबड़े ग्रंथि स्राव का लगभग 70-75% योगदान देती है, जबकि कर्णमूलीय ग्रंथि 20-25% स्त्राव देती है और छोटी मात्रा में स्त्राव अन्य लार ग्रंथियों से होता है। मुंह के लार सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते है, खासकर सुबह की बासी लार। किसी के ओरल हेल्थ और पूरी सेहत का हाल पता करने के लिए लार की जांच भी शामिल होती है। ये डाइजेशन को बेहतर बनाने के साथ मुंह के बैक्टीरिया का भी खात्मा करता है। मुंह की लार एक लुब्रिकेंट की तरह काम करता है, स्वाद लेने में मददगार होता है और एंटी-बैक्टीरियल होता है, जो मुंह के संक्रमण से हमें बचाता है। आयुर्वेद में भी तीन हजार साल पहले ऋषि बाग्वट ने लार के औषधीय गुणों के बारे में काफी कुछ बताया है, जो आपकी कई बीमारियों को खत्म कर सकता है।
हमारे पाचन-तंत्र को दुरुस्त करने के लिए लार से बढ़िया और कोई दवा नहीं है। आपको बता दें कि लार में टायलिन नामक एंजाइम पाया जाता है, इसलिए सुबह उठते ही एक गिलास पानी पीने से आपकी लार सीधे आपके पेट में चली जाती है। ऐसा रोजाना करने से कभी पाचन संबंधी परेशानियां नहीं होती है।