जीभ हमारे मुंह का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है लेकिन हम लोग दांत की तुलना में इस पर बहुत कम ध्यान दे पाते हैं इसका सबसे बड़ा कारण जानकारी का अभाव है आइए हम आज कुछ रोचक तथ्य जानते हैं जीभ के बारे में
क्या आपको पता है हमारे शरीर में सिर्फ जीभ ही एक ऐसा अंग है जो हमारे शरीर के एक सिरे से जुड़ा होता है ,विशेषज्ञों के अनुसार सबसे लंबी जीभ लगभग 3.86 इंच लंबी और लगभग 3.1 इंच चौड़ी बताई है पुरुषों की तुलना में महिलाओं की जीभ की लंबाई कम होती है महिलाओं में सबसे लंबी जीभ 2.76 इंच लंबी है।
हमारे शरीर में कई मसल मौजूद हैं पर आपको पता है कि यह हमारे शरीर का सबसे मजबूत मसल्स है साथ ही यह बहुत लचीला होता है यह अकेली ऐसी मांसपेशी है जिसमें टेस्ट या स्वाद सेंसर मौजूद है और इस सेंसर में लगभग 10,000 से अधिक स्वाद मौजूद है। मुंह में मौजूद लगभग 50% बैक्टीरिया आपकी जीभ पर भी होता है इसलिए सांसो में ताजगी को बनाए रखने के लिए जीभ को साफ करना भी बहुत महत्वपूर्ण है, जीभ का ज्यादातर हिस्सा स्केलेटल मसल्स टिशु से बना होता है इसलिए क्षतिग्रस्त या घायल होने पर जीभ आपके बॉडी के अन्य हिस्सों की तुलना में ज्यादा तेजी से घाव को भर देती है जिससे हमारा जीभ बहुत ही जल्दी ठीक हो जाता है अन्य घावो के मुकाबले।

क्या आप जानते हैं जिभ का ऐसा कौन सा भाग है जो उच्चारण के में महत्वपूर्ण होता है नहीं तो हम आपको बताते हैं कि आपकी जीभ के सामने का लचीला हिस्सा उचित उच्चारण के लिए बहुत ही आवश्यक होता है इसके बिना हम किसी भी शब्द या किसी भी नाम का उच्चारण नहीं कर सकते है। जीभ एक सेंस ऑर्गन है जिससे हमें विभिन्न स्वादों के बारे में पता चलता है। क्या आप जानते हैं की जीभ से हम पांच विशिष्ट स्वादों का पता लगा सकते हैं जिसमें खट्टा, कड़वा, नमकीन ,मिठा और उमा में शामिल हैं। जीभ से जुड़ा एक तथ्य यह भी है कि यह एक प्राकृतिक क्लीनर की तरह काम करता है जिस खाने के बाद दांतों में फंसे खाने को बहुत ही आसानी से बाहर निकाल देता है इससे हमारे दांतो के बीच फंसे खाने में बैक्टीरिया नहीं जमा होते हैं और हमारा दांत सड़ने से बचाता है तथा मुंह से बदबू आना भी कम हो जाता है और जिससे कि हमारा मुंह साफ रहता है।
सभी प्रकार के स्वाद आपकी जीभ पर हि नहीं होते उनमें से लगभग 10% आपके गालों और मुंह के अंदर ऊपर की तरफ मौजूद होते हैं जोकि हमें अलग अलग स्वाद का अनुभव कराती है ।
हमारी जीभ में मौजूद टेस्ट बर्थ बहुत छोटे होते हैं लेकिन फिर भी आप इसे खुली आंखों से देख सकते हैं आप की जीभ पर मौजूद लिटिल बंप्स टेस्ट होते हैं, इसे पप्पीले कहते हैं।
128 डिग्री सेल्सियस गरम जल में एक मिनट तक जीभ डुबोकर रखा जाए उसके बाद यदि उसपर कोई वस्तु रखी जाय तो खट्टे, मीठे आदि का कुछ भी स्वाद नहीं होता । कई वृक्ष ऐसे हैं जिनकी पत्तियाँ चवा लेने से भी यह ज्ञान थोड़ी देर के लिये नष्ट हो जाता है । वस्तुओं का कुछ अंश काटों में लगकर और घुलकर छिद्रों के मार्ग से जब सूक्ष्म स्नायुओं में पहुँचता है तभी स्वाद का बोध होता है । अतः यदि कोई वस्तु सूखी, कड़ी है तो उसका स्वाद हमें जल्दी नहीं जान पडे़गा । दूसरी बात ध्यान देने की यह है कि घ्राण का रसना का स्वाद से घनिष्ठ संबंध है । कोई वस्तु खाते समय हम उसकी गंध का भी अनुभव करते हैं । जिस स्थान पर जीभ लारयुक्त मांस आदि से जुड़ी रहती है वहाँ कई सूत्र या बंधन होते हैं जो जीभ की गति नियत या स्थिर रखते हैं । इन्हीं बंधनो के कारण जीभ की नोक पीछे की ओर बहुत दूर तक नहीं पहुँच सकती । बहुत से बच्चों की जीभ में यह बंधन आगे तक बढ़ा रहता है जिससे वे बोल नहीं सकते । बंधनो को हटा देने से बच्चे बोलने लगते हें । रसास्वादन के अतिरिक्त मनुष्य की जीभ का बड़ा भारी कार्य कंठ से निकले हुए स्वर में अनेक प्रकार के भेद डालना है । इन्हीं विभेदों से वर्णों की उत्पत्ति होती है जिनसे भाषा की विकास होता है । इसी से जीभ को वाणी भी कहते है ।