भारत मैं दो कूबड़ वाला ऊंट भी पाया जाता है जिसे Bactrian camel भी कहा जाता है। यह ऊंट भारत में केवल लद्दाख के नुब्रा वेली मैं ही पाया जाता है। लेह से 125 किलोमीटर दूर यह घाटी 10000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है समुद्र तल से ऊपर इस घाटी का सफर करने का सामान्य तरीका लेह क्रॉसिंग ओवर काढाला से है। काढाला दुनिया की सबसे ऊंची सड़कों में से एक है

अपनी पीठ पर दो कूबड़ के साथ यह ऊठ रेगिस्तान के मूल रूप से पाया जाता है। यह ऊंट मंगोलिया, चीन ,कजाखस्तान,उज़्बेकिस्तान के पूरे रेगिस्तानी इलाकों और भागो में भी पाया जाता है। यह बिना भोजन और पानी के बहुत समय तक जीने की क्षमता रखते हैं। 1950 में कुछ लोगों और ऊंट को व्यापारियों के द्वारा भारत में लद्दाख की नुब्रा घाटी में छोड़ दिया गया था जहां से उनकी भारत मैं जनसंख्या में वृद्धि हुई। Bactrian camel की कुल जनसंख्या 2 मिलियन से अधिक है जिसमें से सिर्फ 200 ऊंट नुब्रा घाटी में पाए जाते हैं इस गांव में मिक्स प्रजाति के ऊंट ज्यादा पाए जाते हैं इस ऊंट की एवरेज हाइट 7 फुट तक होती है तथा वजन 300 से 1000 किलो तक हो सकता है मादाओं की तुलना में नरो का वजन और हाइट ज्यादा होता है। इनका कलर गहरे भूरे रंग का होता है तथा इनके शरीर पर लंबे बाल होते हैं जिससे वह ठंडे प्रदेशों में जीवित रहते हैं। लंबे बालों के कारण इनके पलकों पर धूल की परत नहीं जमती है जिससे वह रेगिस्तान में भी आसानी से विचार कर सकते हैं इन ऊंटों के पास अच्छी तरह से देखने और सूंघने की क्षमता होती है। यह ऊंट अपने शरीर पर 200 किलो तक का भार ले जा सकते हैं तथा इनकी रफ्तार 65 किलो प्रति घंटा की हो सकती है और यह 1 दिन में 45 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकते हैं।

Bactrian camel की उम्र 50 वर्ष तक की हो सकती है तथा कैद मैं इनकी उम्र 20 से 40 वर्ष तक की ही होती है। यह ऊंट सर्वाहारी होते हैं रेगिस्तान की कड़वी पौधे और शाखाएं खाकर जीवित रह सकते हैं। गर्मियों के दिनों में यह ऊंट समूह में चलते हैं जहां समुद्र से ठंडी हवाएं आती हैं और सर्दियों के समय में जब सभी पौधे पत्तियां बर्फ के नीचे दब जाते हैं तब यह किसी जानवर के मांस हड्डियां खाकर भी जीवित रह सकते हैं। ठंड के मौसम में जब खाने की कमी होती है तो इनका शरीर कमजोर हो जाता है जिसे वह गर्मियों के समय में खाना खाकर स्वस्थ बनाए रखते हैं। उनके शरीर पर जो कूबड़ होते हैं वह फैटी टिशु से बने होते हैं ऊंट बहुत दिमाग वाले तथा वफादार जानवर होते हैं यह ऊंट बहुत धीमी रफ्तार में खाना चबाकर खाते हैं जिससे इन्हें पानी पीने की बहुत कम जरूरत पड़ती है कई बार यह बर्फ खा कर के भी अपने शरीर की पानी की कमी को पूरा करते हैं तथा यह खारा पानी भी पी सकते हैं। यह अपने बॉडी वेट का 40% तक का पानी बिना पिए रह सकते हैं जो बहुत बड़ी मात्रा है। हर मादा ऊंट अपने जीवन चक्र में 12 बच्चों को जन्म दे सकती हैं और इन ऊंटो का शिकार मुख्या रूप से भेड़िया और अन्य शिकारी करते हैं। गर्मियों के समय में नुगरा वैली में पर्यटकों के आकर्षण के रूप में ऊंट की सवारी भी कराई जाती है जिससे यहां का पर्यटक व्यवसाय अच्छे से चलता है यह एक विलुप्त होता हुआ प्रजाति है अगर इसकी देख-रेख सरकार द्वारा अच्छे से नहीं की गई तो कुछ ही सालों में यह ऊंट भारत से विलुप्त हो जाएगा