दोस्तों दुनिया में ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जिनकी कीमत जानकर हम सब चौक जाते हैं लेकिन उसमें से ऐसा कोई चीज नहीं है, जिससे आदमी को जीवनदान मिल सके। यानी मानव जाति के लिए अमृत जैसा हो। लेकिन दोस्तों आज हम जिसके बारे में बात करने जा रहे हैं ,वह एक केकड़ा है जिसका नाम हॉर्सशू क्रैब है। जिसकी कीमत लगभग 15 हज़ार डॉलर प्रति लीटर है। जिसको भारतीय मुद्रा में देखा जाए तो लगभग 10 लाख रुपए होते हैं।

दोस्तों हम बात कर रहे हैं ,एक केकड़े की प्रजाति के बारे में जिसका नाम है ,हॉर्सशू क्रैब। यह नॉर्थ अमेरिका के अटलांटिक महासागर में और मेक्सिको में पाया जाता है। हॉर्सशू क्रैब की १० आँखे होती है ,जो इसके पुरे शरीर पर फैली होती है। ऐसा माना जाता है की यह प्रजाति 45 करोड़ साल से अस्तित्व में है। इतने साल से धरती पर रहने के बावजूद भी इनके आकार और प्रकार में किसी भी तरह का बदलाव नहीं देखा गया। दरअसल मेडिकल साइंस में इस केकड़े का योगदान बहुत बड़ा है। इसको मेडिकल साइंस का अमृत कहा जाता है। जो मानव जाति के लिए एक बहुत बड़ी बात है। हॉर्सशू क्रैब का जो खून होता है ,वह बहुत सारी जीवनदायी दवा बनाने के काम आता है। इस जीव की बनावट घोड़े की नाल जैसा है। इसलिए इसे हॉर्सशू क्रैब कहते हैं। इसका जो खून होता है वह नीले कलर का होता है। और इसकी कीमत लगभग १५ हज़ार डॉलर प्रति लीटर होता है। जो कि भारतीय मुद्रा में लगभग १० लाख रुपए है। इस केकड़े के खून में एक एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टी है ,जो इसके खून को यूनिक बनाते हैं। इस केकड़े का खून नीला रंग का होता है। यह नीला रंग इसके खून में कॉपरवेस्ट हिमोसाइनइन के वजह से होता है। यह हिमोसाइनइन ऑक्सीजन को सारे शरीर में प्रवाह करने के काम आता है। इसीलिए इस केकड़े का रंग भी लाल नहीं नीला होता है। इस केकड़े का साइंटिफिक नाम लुमिनस पॉलिफिमस है। यह इंसान के शरीर में छुपे हुए बैक्टीरिया का चयन करता है। और इससे किए जाने वाला निर्णय सबसे सटीक होता है बाकी सब मेथड से। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि इसी कारण इस केकड़े का स्मगलिंग होती है। और हर साल लगभग पांच लाख केकड़े को मार दिया जाता है। इसलिए इनकी प्रजाति खत्म होने के कगार पर है।

- हर वर्ष भारत के झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ तथा अन्य राज्यों में हॉर्सशू क्रैब (केकड़ा) के माँस एवं इनके कवच की आपूर्ति के लिये ओडिशा में सैकड़ों केकड़ों को मारा जाता है।
- इनके अलावा ऐसा विश्वास है कि इसके कामोत्तेजक गुण के कारण भी इसे मारा जाता है जिस कारण ओडिशा में केकड़े की यह प्रजाति गंभीर खतरे में है।
- हॉर्सशू क्रैब वैश्विक वातावरण एवं जैव विविधता के मध्य एक महत्त्वपूर्ण कड़ी के रूप में अपना सांस्कृतिक महत्त्व रखते हैं।
- दुर्भाग्य से, इस पारिस्थितिक लिंक को उन क्षेत्रों में जहां हॉर्सशू केकड़ों का जनसंख्या घनत्व कम है, तोड़ा जा रहा है।
- हॉर्सशू पारिस्थितिक रूप से बहुत महत्त्वपूर्ण है अपने इस पारिस्थितिक कार्य के तहत ये समुद्र तट पर करोड़ों अंडे देते है, जो समुद्र के किनारे, मछली और अन्य वन्यजीवों का भोजन है।
- भारत में हॉर्सशू केकड़ों को केंद्रपाड़ा, बालासोर तथा भद्रक ज़िलों के समुद्र तटीय क्षेत्रों से चुना जाता है और अन्य राज्यों में भेजा जाता है।