एशियाई महाद्वीप के पूर्वी भूभाग के तौर पर पूरी दुनिया में मशहूर उत्तर कोरिया अपनी शासन पद्धति की वजह से हमेशा ही विवादों में रहा है. कभी वहां के तानाशाही वाले लोकतंत्र को लेकर तो कभी विवादित सैटेलाइट परीक्षण को लेकर. एक विवाद से उठी आग ठंडी नहीं होती कि दूसरी सुलगने लगती है.
इन दिनों कोरिया फिर से सुर्खियों में है जब वहां के शासक ने फरमान जारी किया कि लोग उत्तरी कोरिया की भयावह सच्चाई को तस्वीरों के माध्यम से सोशल मीडिया पर साझा न करें। इसके साथ ही उसने हाइड्रोजन बम से मैनहट्टन को उड़ा देने की धमकी भी दी है।

इस बात को लेकर पूरी दुनिया भ्रमित रहती है कि यह एक वामपंथी देश है, लेकिन यदि टेक्निकली देखें तो 2009 से यह Juche विचारधारा का पोषण करने वाला देश बन गया है. हालांकि इस देश में पुराने वामपंथियों की बातों को काफी वरीयता दी जाती है। अब हम-आप तो इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकते कि कोई हमें दिल्ली या मुंबई आने-जाने से रोक देगा, मगर ऐसा उत्तरी कोरिया में संभव है। क्या आप इस बात की कल्पना कर सकते हैं कि मानवीय मल से तैयार होने वाले खाद को खाद्य पदार्थों के उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जाए? अगर नहीं किया तो अब शुरू कर सकते हैं। पूरी दुनिया में जहां यह 2020 है वहीं उत्तरी कोरिया में यह 109 वां साल है। यहां साल किम इल सुंग (पूर्व शासक) के जन्मवर्ष से गिना जाता है। जी हां, यह बात पूरी तरह सच है. यह उत्तरी कोरिया के भीतर का स्याह सच है। यहां कोई भी शख़्स निजी वाहन नहीं रख सकता। सारे लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं। धूसर रंग से रंगे होने के साथ-साथ इन सारी इमारतों में यहां महापुरुष के तौर पर मशहूर पूर्व शासकों की मूर्तियां लगानी पड़ती हैं। यह बात उन सभी लोगों के लिए है जो सारी समस्याओं का समाधान साम्यवाद में ढूंढते हैं, मगर यहां हकीकत तो बिल्कुल जुदा है। अब हम तो रिमोट से चैनल बदलने के इतने आदी हो गए हैं कि इस खबर को सुनते ही थरथराहट होने लगी है। ज्यादा हैरान होने की आवश्यकता नहीं है. यह इस तथाकथित रूप से प्रगतिशील देश का दूसरा रूप है. दादा की गलतियों की कीमत पोते तक को चुकानी पड़ती है.
यह बात शायद दूसरे देशों और गांजा चाहने वालों के लिए सबसे सुकून वाली बात होगी. आखिर बाबा जी की बूटी वाले देश का भक्तजनों के बीच ऐसे ही क्रेज थोड़े न है। जी हां, यहां के शासक की तरह जो हमेशा एक ही हेयर स्टाइल रखता है। उत्तर कोरिया में नागरिकों को भी ऐसे आदेश है कि वे तय 28 हेयरस्टाइलों में से ही किसी एक को चुन सकते हैं। यहां आपको तय चीजें पढ़नी व देखनी पड़ेंगी। उत्तर कोरिया में यदि कोई दक्षिण कोरिया की फिल्म देखता पाया गया तो उसे मौत के घाट तक उतार दिया जाता है। इसके अलावा आप यहां जींस नहीं पहन सकते। कहने को तो उत्तरी कोरिया में लोकतंत्र है, लेकिन चुनावी बैलेटों पर उम्मीदवार की संख्या सिर्फ एक होती है. यहां चुनाव हर 5 साल में होते हैं। चाहे जबरदस्ती के लेबर कैंप का मामला हो या फिर कैदखानों का। यहां सिर्फ लोकतंत्र का छलावा है। यहां लोग न ही गरीबों की तस्वीरें खींच सकते हैं और न ही उन्हें कहीं साझा कर सकते हैं. यहां के प्रशासन व सरकार के अनुसार यह देश की अच्छी छवि नहीं पेश करता।