गिजा पिरामिड जिसे हम ग्रेट गिजा पिरामिड के नाम से भी जानते है के बारे में रोचक बातें। …..

गिजा पिरामिड
गिजा पिरामिड – म्रिस कि  सभी ऐतिहासिक इमारतों में म्रिस का पिरामिड सबसे ज्यादा पॉपुलर है। हर साल इन्हें देखने लाखों टूरिस्ट आते है। इनमें से एक “ग्रेट गीजा पिरामिड” का नाम भी शामिल है। गिजा के महान पिरामिड के बारे में तो आपने सुना ही होगी। मिस्र का यह पिरामिड दुनिया के सात अजुबों में शुमार है।आज तक कोई नहीं जनता की इसे किसने बनवाया है।

गिजा पिरामिड

भारत की तरह मिस्र की सभ्यता भी बहुत पुरानी और प्रचीन है व मिस्र की प्राचीन सभ्यता के अवशेष भी यहां की गौरव गाथा कहते हैं। यूं तो मिस्र में 138 पिरामिड हैं और काहिरा के सिर्फ गिजा पिरामिड ही प्राचीन विश्व के सात अजूबों की सूची में शेष इकलौता ऐसा स्मारक है जिसे समय भी खत्म नहीं कर सका है।

आइये जानते है इस पिरामिड के कुछ रोचक तथ्य और पहलु-:

म्रिस के पिरामिड में राजाओं के शवों को दफनाकर सुरक्षित रखा जाता था, इन शवों को ममी भी कहते है। शव के साथ वस्त्र, गहने, बर्तन, हथियार या अन्य चीजें भी दफनाई जाती थी। कई बार तो राजा महराजों के इन शवों के साथ सेवक-सेविकाओं के शव भी दफना दिये जाते थे। ऐसा करने के पीछे प्राचीन मिस्रवासियों की यह मान्यता है कि मरने के बाद जब आदमी दूसरी दुनिया में जाता है तब यह साथ दफनाई चीजें उसके जीवन-यापन में काम आती है।

ग्रेट गिजा पिरामिड की ऊचाई लगभग 450 फीट ऊंची है। 4300 सालों तक यह दुनिया की सबसे ऊंची सरचना का खिताब लिये खड़ा रहा, लेकिन 19वीं सदी में इस पिरामिड का यह रिकॉर्ड टूट गया। ऐसा माना जाता है कि ग्रेट गिजा पिरामिड को बनाने में लगभग 30 साल का वक्त लगा था। इसे 30 लाख मजदूरों ने मिलकर तैयार किया था। पिरामिड में 2 से लेकर 30 टन तक के 23 लाख चूना पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था।

गिजा पिरामिड

ग्रेट पिरामिड के अंदर का तापमान हमेशा ही 20 डिग्री सेल्सियस तक स्थिर रहता है, फिर चाहे बाहर का तापमान कुछ भी हो। तथ्यों के आधार पर इसका निर्माण करीब 2560 ईसा पूर्व मिस्र के शासक खुफु के चौथे वंश द्वारा अपनी कब्र के तौर पर कराया गया था। विशेषज्ञों के मुताबिक पिरामिड के बाहर पत्थरों को इस तरह ताराशा और फिट किया गया है। कि इनके जोड़ में जरा भी स्पेस नहीं है। यदि इस पिरामिड का आधार 55,000 स्क्वायर फुट है। इसका एक-एक कौना 20,000 स्क्वायर फुट क्षेत्र में बना है। गिजा पिरामिड में नींव के चारों कोने के पत्थरों में बॉल और सॉकेट बनाये गए है, ताकि ऊष्मा से होने वाले प्रसार और भूकंप से यह बचे रहे। मिस्र पिरामिड का इस्तेमाल वैधशाला, कैलेंडर, सूर्य की परिक्रमा में पृथ्वी की गति और प्रकाश के वेग को जानने के लिए होता है।
आपकों बता दें कि इन सब रोचक पहलुओं और तथ्यों के बाद ग्रेट गिजा पिरामिड पर वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा यह प्रमाणित हो गया है कि पिरामिड के अन्दर विलक्षण किस्म की ऊर्जा तरंगे लगातार काम करती रहती है, जो सजीव और निर्जीव, दोनों ही तरह की वस्तुओं पर प्रभाव डालती है। जिसके कारण वैज्ञानिकों ने इसे “पिरामिड पॉवर” का नाम दिया।

Amit Shrivastava

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