Hetrochomia क्या है !
हेट्रोक्रोमिया का सीधा संबंध आंखों के रंग से है। यह एक नॉर्मल मेडिकल कंडीशन है यह कोई बीमारी नहीं है। इसमें आंखों की रोशनी पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यह ज्यादातर अनुवांशिक होता है। यह माता पिता से ही बच्चों में आती है। कभी -कभी यह अनुवांशिक न हो कर किसी चोट के कारण भी हो सकती है।
हेट्रो का मतलब है-अलग और क्रोमिया का मतलब- रंग ! यानी कि ‘अलग रंग’ हेट्रोक्रोमिया ऐसी मेडिकल कंडीशन है,जिसमें एक व्यक्ति की दोनों आंखें अलग-अलग रंग की होती है।उदाहरण के तौर पर एक आंख नीली तो दूसरी आंख हरी। इस स्थिति में हमेशा दोनों आंखों का रंग अलग हो जाता है। कभी-कभी एक ही आंख में दूसरे रंग का मैच दिखने लग जाता है।
आंखों के रंग का उल्लेख करने के लिए मेट्रोक्रोमिया इरीडिस, और हेटेरोक्रोमिया इरीडियम शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। इरीडिस और इरीडियम का मतलब आंखों की आईरस से है।आपने सुना होगा कि कुछ लोगों की आंखों का रंग अलग अलग होता है।लेकिन क्या आपने इस स्थिति के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश की थी आज हम बताएंगे कि ऐसा क्यों होता है!
हेटेरोक्रोमिया में आंखों के अलग-अलग रंग होने वाली इस स्थिति के कई प्रकार होते हैं। हम आपको इसके कुछ प्रकारों को बताएंगे।हेटेरोक्रोमिया को उसके प्रभाव को आईरस के आधार पर तीन प्रकार से बांटा गया है
पूरा हेट्रोक्रोमिया :-
ये वही स्थिति है, जिसमें एक आंख की तुलना में दूसरी आंख का आईरस पूरी तरह से अलग होता है।और दोनों आंख एक दूसरे से रंग में बिल्कुल अलग होते हैं।
आंशिक हेटेरोक्रोमिया :-
इसे सेक्टरल हेट्रोक्रोमिया भी कहते हैं। इस स्थिति में आंख के आईरस का कुछ हिस्सा अलग रंग का होता है। यह एक या दोनों आंखों में हो सकता है।
केंद्रीय हेट्रोक्रोमिया :-
केंद्रीय हेट्रोक्रोमिया की इस स्थिति में आईरस का रंग के पुतली के पास बॉर्डर पर अलग होता है। बाकी पूरी आईरस का रंग अलग होता है। क्योंकि इसका प्रभाव पुतली के करीब आंखों के आईरस के बीच में दिखता है। इसलिए इसे केंद्रीय हेट्रो क्रोमिया कहते हैं।
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