बोधिधर्मन कौन थे और इनकी जन्म कथा क्या कहती है?

बोधिधर्मन ने 520 से 526 ईसवी में चीन में बौद्ध धर्म की नीव रखने के लिए यह जाने जाते हैं। चीनी इतिहास के अनुसार Bodhidharma एक लंबी दाढ़ी वाले, गहरी आंखों वाले और उदार चरित्र वाले व्यक्ति थे। बोधिधर्मन के विचारों ध्यान साधना और लोक अवतार के रूप में करोड़ों लोग जानते हैं। भगवान बुद्ध द्वारा शुरू किए गए बौद्ध धर्म का 28 वा वारिस या गुरु बोधिधर्मन को ही माना जाता है। आधुनिक मार्शल आर्ट्स के जनक और मार्शल आर्ट से जुड़ी कुछ पौराणिक कथाएं क्या है? आज के जमाने की मार्शल आर्ट की बात करें तो इसे सीखने के लिए लोग बहुत दूर-दूर से चीन की ओर अपना रुख करते हैं और इतना ही नहीं अब इसको सीखने के लिए लोग अपनी काफी रुचि भी दिखाते हुए नजर आते हैं।पौराणिक कथाओं के अनुसार आधुनिक मार्शल आर्ट को सबसे पहले महर्षि अगस्त एवं भगवान श्री कृष्ण ने निजात किया था। इस कला का मतलब है कि बिना शास्त्र के युद्ध करना इस पौराणिक एवं शास्त्रों के अनुसार इस युद्ध कला को कालारिपयट्टू के नाम से जाना जाता था। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने इस कला के माध्यम से कई दुष्टों को बिना हथियार के मारा था।यह अनोखी युद्ध कला ऋषि अगस्त से होते हुए सीधे Bodhidharma तक पहुंची। फिर इस कला को आगे विकसित करने के लिए बोधिधर्मन ने पूरे एशिया के देशों की यात्राएं की। बोधिधर्मन जी ने भारतीय स्वास्थ्य एवं और मार्शल आर्ट द्वारा अपनी शक्ति और अपने संकल्प से इसको एक अलग दर्जा प्रदान किया।चीन में सिखाई गई इस कला को वहां के रहवासियों ने ‘जैन बुद्धिज़्म’ का नाम प्रदान किया। इसी की वजह से Bodhidharma का नाम इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो चुका है। इसी कला के वजह से बोधिधर्म को आधुनिक मार्शल आर्ट का जनक भी माना जाता है। आज के समय में इस कला को सीख कल लोग अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं। विशेषकर महिलाएं इस क्षेत्र में अपने आप को निपुण बनाने का प्रयास करती हैं।