दुनिया में ऐसी कई ओर असामान्य घटनाएं होती जा रही है। जिन्हें चाह कर भी समझना मुश्किल हो जाता है। 2001 में ऐसा ही कुछ केरल में हुआ था। दरअसल केरल में 23 जुलाई 2001 से लेकर 25 सितंबर 2001 तक कई लोगों ने आसमान में लाल बारिश होते हुए देखी थी! इनमें कोचीन यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के एक प्रशिक्षण भी शामिल थे। जो इस मामले की तहकीकात करना चाहते थे। हालांकि ऐसा नहीं था कि केरल में यह घटना पहली बार हुई थी 1986 में सबसे पहली बार इस लाल बारिश को केरल में देखा गया था। उसके बाद से एक घटना कई बार हो चुकी है।
जब भी मानसून दस्तक देता है तो अपने साथ ले आता है झमाझम बारिश के सौगात, लेकिन जरा सोचिए? आसमान में पानी की जगह अगर,लाल रंग के खून की बरसात होने लगे तो, क्या होगा! केरल में लाल रंग की बारिश ने सबको चौका कर रख दिया था! इसलिए क्योंकि यह लाल रंग की बारिश थी। पहले कभी किसी ने ऐसा नहीं देखा था। ऐसे में जब यह लाल रंग की बारिश हुई तो खून की बारिश के नाम से से जाना गया। और आज भी इस घटना को याद किया जाता है। यहां हम आज आपको इस लाल रंग की ! बारिश के बारे में बताएंगे।

जिस दिन यह लाल रंग की बारिश केरल में हुई थी। उस दिन तेज हवाएं अचानक से बहना शुरू हो गई थी। साथ ही बादल भी गरज रहे थे। और बिजली भी कड़क रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई बड़ी अनहोनी होने जा रही है। बादलों की तेज गड़गड़ाहट हो रही थी। और आसमान में मूसलाधार बारिश शुरु हो गई। लोगों ने जब पानी के रंग को देखा तो उनके होश उड़ गए ! आंखें खुली की खुली रह गई ! क्योंकि वह साधारण बारिश नहीं थी जो हमें हमेशा देखने को मिलती है। वह बिल्कुल खून की तरह लाल रंग की बारिश हो रही थी!
जब यह बारिश कपड़ों पर पड़ती तो पीले रंग की दाग पड़ जाय रहे थे। ऐसे में हर कोई इस बारिश को देखकर हैरान था। यह घटना केरल के इडुक्की और कोट्टायम नामक 2 जिलों में, यह बारिश देखने को मिली थी। यह दोनों जिले केरल के दक्षिण में स्थित है। केरल के कई इलाकों में लाल के साथ पीले रंग की बारिश भी देखने को मिली थी।
आइए जानते हैं पानी लाल क्यों था !
इस प्रश्न में वैज्ञानिकों को इसका परीक्षण करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने पाया कि रक्त की ह हर मिलीमीटर में लगभग 9 मिलियन (90 लाख) लाल कण मौजूद थे। उन्होंने बताया कि खून की बारिश के हर एक लीटर पानी में लगभग 100 मिलीग्राम ठोस होता है। इन घटनाओं के आधार पर वैज्ञानिकों ने बताया कि केरल में हुई लाल बारिश की कुल मात्रा के लिए लालगढ़ की कुल 50000 किलोग्राम की मात्रा की वायुमंडल में कमी आई है। विज्ञान ने पाया कि पानी से अलग होने वाले ठोस रंग के साथ लाल भूरे रंग थे। और मालवीय बारिश के पानी से अलग हुए ठोस पदार्थ के आगे के विश्लेषण से हरे नीले पीले और भूरे रंग की उपस्थिति का पता चला। जो असामान्य काले रंग की व्याख्या करते हैं। हरे और पीले रंग की बारिश जो लाल रंग की बारिश के दौरान भी बताई गई थी। वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि लाल बारिश लाल कणों के कारण हुई थी।
कणों को माइक्रोस्कोपिक से देखने पर पता चला कि वाह मलबा नहीं था बल्कि वास्तव में वे बीजाणु थे।