मित्रो , अगर आपसे आठ भुजाओं और तीन दिल वाले Animal के बारे में पूछा जाए तो आप तपाक से जवाब दोगे | ऑक्टोपस दुनिया के सभी महासागरो खासकर उष्णकटिबंधीय महासागर में बड़ी मात्रा में पाए जाते है | ऑक्टोपस अपने आठ भुआजो की मदद से समुद्र में तैरते है और केकड़े , क्रे फिश , लोब्सटर , झींगा आदि का शिकार भी करते है | विशालकाय Pacific तो दुसरे छोटे ऑक्टोपस को भी खा जाते है | आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इसके जहर के कारण कुछ वैज्ञानिको ने इसे समुद्र की गहराई के राक्षस की संज्ञा भी दी है | आइये आपको ऑक्टोपस से जुड़े अन्य रोचक तथ्य बताते है |
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि की दो-चार नही बल्कि 300 प्रजातियाँ मिलती है जो समुद्र की गहराइयो में या समुद्रतल पर रहते है और भोजन की तलाश में सुबह-शाम समुद्र के उपरी हिस्से में आते है |
ऑक्टोपस कई आकार के होते है सबसे ज्यादा मिलने वाला वल्गरिस ऑक्टोपस 12-36 इंच लम्बे और 3-10 किलोग्राम वजन के होते है |
सबसे छोटा वुल्फी ऑक्टोपस जहा एक इंच लम्बे और एक ग्राम वजन के होते है वही विशालकाय Pacific 16 फूट लम्बे और करीब 50 किलोग्राम भार के होते है |
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि वर्ष 1957 में दक्षिणी कनाड़ा में एक विशाल ऑक्टोपस भी मिला था जिसका वजन 272 किलोग्राम और भुजाये 9.6 मीटर लम्बी थी |
ऑक्टोपस के शरीर में तीन Heart , Single Brain और उससे जुड़े आठ Ganglion न्यूरोन्स तथा Blue Blood इसे दुसरे Animals से अलग बनाते है | इनमे से दो Heart खून की supply गिल्स में करने का काम करते है तो तीसरा Heart खून को बाकी शरीर को circulate करता है |
में Blue Blood में हीमोसायनिन नामक कॉपर-आयरन से भरपूर प्रोटीन पायी जाती है | महासागर की गहराई में बहुत कम तापमान और ऑक्सीजन का स्तर कम होने पर भी यह प्रोटीन के शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई करने में मदद करती है |
ऑक्टोपस काफी तेज दिमाग वाले होते है | इनमे करीब 500 मिलियन न्यूरोन्स पाए जाते है | ये Ganglion न्यूरोन्स नर्वस सिस्टम में Central Brain और हर हाथ के नीचे होते है जो उनके हर मूवमेंट को control में रखते है |
ऑक्टोपस किसी भी समस्या को आसानी से सुलझा लेते है और कोई भी काम आसानी से सीख लेते है और अपने शिकारियों से बचाव के तरीके अपनाते है |
आपको ऑक्टोपस पॉल तो याद ही होगा जिसने 2008 और 2010 के World FIFA के सही विजेताओं को पहले ही चुन लिया था |
ऑक्टोपस सफलोपोड़ा परिवार से आते है यानि इनकी भुजाये सिर से जुड़े होते है | ऑक्टोपस के आठो भुजाये सिर से जुडी होती है जो उसे तैरने में ही नही शिकार पकड़ने में भी मदद करते है |
ऑक्टोपस के आठो हाथो पर दो लाइन में गोल आकार के चूसने वाले शक्तिशाली सकर्स होते है जिसमे लगे संवेदी receptors उन्हें किसी भी चीज को स्पर्श कर पहचानने में मदद करते है | इन सकर्स से ही ऑक्टोपस अपने शिकार को पकड़ते है और मुंह में ले जाते है |
सबसे बड़ी बात है कि ऑक्टोपस की भुजा कट जाती है तो कुछ समय बाद दोबारा आ जाती है यानि किसी शिकारी के पकड़ से बचने या परिस्थीतीवश भूख मिटाने के लिए उसका खोया हुआ Arm उसी स्थान पर बड़ा हो जाता है |
अपनी भुजाओं के सक्शन पॉवर की मदद से ऑक्टोपस बड़ी आसानी से पीछे की और या Backward कर लेते है यानि वे भुजाओं के सकर्स से पानी अपने अंदर लेते है और मांसपेशियों की सीफोन नामक ट्यूब से बहुत तेजी से पानी छोड़ते है इस ब्लास्ट से वे Backward करते है | अपनी भुजाओं के सकर्स की मदद से ही वे समुद्रतल में आसानी से Crawl कर पाते है क्योंकि वे ग्रिप का काम करते है |
ऑक्टोपस शिकारी से अपनी रक्षा के लिए विशेष केमिकल्स का उपयोग करते है जब उन्हें समझ में आ जाता है कि वे मुसीबत में है तो वह दुसरे स्थान पर अपने ब्लू ब्लड का फव्वारा छोड़ते है जो पानी में घुलकर काली स्याही का धुँआ सा बन जाता है | इससे टाईरोसिनस नामक कैमिकल होता है हो शिकारी की आँखों में जलन पैदा करता है और उसे कुछ दिखाई नही देता है फिर ऑक्टोपस मौके का फायदा उठाकर खिसक लेता है |
गहरे महासागर के तल में मांड बनाकर माँ ऑक्टोपस एक बारे में करीब 1 से 3 लाख अंडे देती है शिकारियों से उनकी रक्षा करने और पानी के तेज बहाव से बचाने के लिए माँ ऑक्टोपस अपनी जी जान लगा देती है यहा तक की वह शिकार करने को भी नही जाती और भूखी पड़ी रहती है |
ज्यादा भूख लगने पर वह अपने हाथ को ही खाने लगती है जिससे वह खुद कमजोर हो जाती है | कई बार तो वह भूखी मर जाती है और दुसरे शिकारियों से अपना बचाव नही कर पाती | अक्सर युवा ऑक्टोपस अपने माता-पिता से कुछ सीख नही पाते इसलिए अन्डो से निकले आधे से अधिक लार्वा युवा होने से पहले हही दुसरे समुद्री जीवो का शिकार बन जाते है |ऑक्टोपस का जीवनकाल एक से पांच साल का होता है |