आज भी इस धरती पर 70 प्रतिशत से अधिक जल है। धरती के वजन से 10 गुना ज्यादा इस धरती ने जल को वहन कर रखा है। मानव आबादी धरती के मात्र 20 से 25 प्रतिशत हिस्से पर रहती है। उसमें भी अधिकतर पर जंगल, रेगिस्तान, पहाड़ और नदियां हैं। इस 20 से 25 प्रतिशत हिस्से पर ही रहस्यों के अंबार लगे हुए हैं। ऐसे में समुद्र के 70 से 75 प्रतिशत हिस्सों को तो अभी मानव संपूर्ण रूप से देख भी नहीं पाया है। प्राचीनकाल से लोग सागर की यात्रा करने और इसके रहस्यों को जानने की कोशिश में लगे हुए हैं।
इस विशालकाय समुंद्र को आज तक विज्ञान भी नहीं समझ पाया की! धरती पर मौजूद समुंद्र कितना बड़ा और कितना विशाल है। आज भी इस चीज की खोज जारी है, फिर भी वैज्ञानिक अभी तक समुंद्र का कोई आकलन नहीं कर पाए है। वैज्ञानिक भी आज तक सिर्फ 5% ही समझ पाए हैं! बाकी 95% अभी भी खोज जारी है। आइए जानते हैं विशालकाय समुंद्र के बारे में कुछ तथ्य !

समुद्र का जन्म धरती की सतह में स्थित पानी से भरे विशाल गड्ढे से हुआ है। दरअसल, जब पृथ्वी का जन्म हुआ, तो वह आग का एक गोला थी। पृथ्वी जब धीरे-धीरे ठंडी होने लगी, तो उसके चारों तरफ गैस के बादल फैल गए। ठंडे होने पर ये बादल काफी भारी हो गए। और उनसे लगातार मूसलाधार वर्षा होने लगी। पृथ्वी की सतह के गर्म होने की वजह से जो भी पानी बरसता था, वह भाप बनकर उड़ जाता था और वायुमंडल में बादल बनकर फिर से बरसने लगता था। लाखों साल तक ऐसा ही होता रहा। जब पृथ्वी पर्याप्त ठंडी हो गई, तब इस पर पड़ने वाला पानी उबल नहीं पाता था। लेकिन वर्षा होने का सिलसिला अनवरत जारी रहा। पृथ्वी के निचले हिस्सों में यह पानी भर चुका था। पानी से भरे धरती की सतह के ये विशाल गड्ढे ही बाद में समुद्र कहलाए। आज भी धरती की सतह पर कई महासागर हैं।
महासागर पृथ्वी का वह भाग, जो विशाल जलाशय से घिरा हुआ है, महासागर कहलाता है। पृथ्वी का 70 प्रतिशत भाग महासागरों से घिरा है। प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिन्द महासागर, आर्कटिक महासागर तथा दक्षिणी महासागर कुल 5 महासागर हैं। प्रशांत महासागर तथा अटलांटिक महासागर का विस्तार उत्तरी गोलार्द्ध तथा दक्षिणी गोलार्द्ध दोनों जगह है इसलिए भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित उत्तरी प्रशांत महासागर तथा दक्षिण में स्थित दक्षिणी प्रशांत महासागर स्थित हैं। इस प्रकार कुल मिलाकर 7 महासागर या 7 समंदर हैं। उल्लेखनीय है कि अंटार्कटिका में बर्फीली जमीन के अंदर 400 से ज्यादा झीलें हैं।

पृथ्वी की 70.92 प्रतिशत सतह समुद्र से ढकी है। इसका आशय यह है कि पृथ्वी के लगभग 36,17,40,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में समुद्र है। विश्व का सबसे विशाल महासागर प्रशांत महासागर है। जिसका क्षेत्रफल लगभग 16,62,40,000 वर्ग किलोमीटर है। यह विश्व के सभी महासागरों का 45.8 प्रतिशत है। इसकी आर-पार की सबसे छोटी दूरी ग्वायाकिल से बैंकाक, थाइलैंड के बीच 17550 किलोमीटर है। प्रशांत महासागर विश्व का सबसे गहरा सागर है। इसकी औसत गहराई 3939 मीटर है। मैरियाना खाई में इसकी अधिकतम गहराई 10900 मीटर है।
विश्व का सबसे विशाल सागर दक्षिण चीन सागर है। जिसका क्षेत्रफल 29,74,600 वर्ग किलोमीटर है।
सभी सागरों की गहराई अलग-अलग मानी गई है। हालांकि महासागरों की गहराई का रहस्य अभी भी बरकरार है। समुद्र की गहराई बेहद ठंडी, अंधेरी होती है। और कभी-कभी तो ज्यादा दबाव के कारण यहां ऑक्सीजन भी काफी कम हो जाती है।
धरती पर जितना दबाव महसूस होता है, समुद्र की गहराइयों में यह 1,000 गुना ज्यादा होता है। इतना ज्यादा दबाव कि बायोकैमेस्ट्री भी यहां फेल हो जाए। इस दबाव की सचाई यह है कि समुद्र की तलहटी में रहने की 1 प्रतिशत से भी कम जगहों का अभी तक पता चला है, जहां जीव और जंतु रहते हैं।