15 अगस्त 1947 को 1 रुपया 1 डॉलर के बराबर था।

1 रूपया का नोट

हमारे भारत में रुपया का इतिहास 2500  साल पुराना है। तभी से यह लोगों की आवश्यकता बन गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपयों की तुलना डॉलर से की जाती है। इसका भाव डॉलर के बढ़ते या घटते रेट पर निर्भर करता है।

रुपया, डॉलर के मुकाबले कमजोर क्यों ?

 

सन 1917 में जब भारत आजाद नहीं हुआ था तो १ रूपया 13 डॉलर के बराबर था।

लेकिन जब भारत आजाद हुआ तो भारत के ऊपर अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक भी कर्जा ना होने के कारण सन 1947 में १ रूपया का भाव 1 डॉलर के बराबर था।

भारत में जब पहली पंचवर्षीय योजना 1951 में आई तो इस योजना के लिए सरकार को कर्ज लेना पड़ा इसी कारण 1948 से 1966 के बीच हमारे देश का रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हो गया।

उस समय 1 डॉलर की कीमत 4.66 रुपया हुआ करता था।

फिर 1975 में 1 डॉलर की कीमत 8.39 रुपया तथा 1985 में 1 डॉलर 12 रुपया के करीब पहुंच गया।

उसी दौरान भारत में महंगाई तेजी से बढ़ती गई और विकास दर कम होते गया।

इसी कारन से सन 1951 में फॉरेन रिजर्व कम होने से 1 डॉलर की कीमत 17.90 रुपया के करीब पहुंच गया।

इसी लाइन में धीरे-धीरे बढ़ते हुए 1993 में 1 डॉलर की कीमत 31.37 रुपया तथा सन 2000 से 2010 के दौरान  एक डॉलर की कीमत 40 से 50 रुपया तक पहुंच गई थी।

इसके बाद तो जैसे डॉलर की कीमत आसमान छूने लगी 2013 में तो यह हद पार हो गई कि जब एक डॉलर की कीमत 65.50 रुपया तक पहुंच गई।

इंदिरा गांधी के फैसले के कारण रुपया कमजोर :-

 

इसी दौरान जब भारत में कर्ज ज्यादा बढ़ने लगा तो उस समय की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी ने कर्ज चुकाने के लिए भारत में रुपयों की कीमत कम करने का फैसला किया।

उसके बाद से आज तक भारत में रुपयों की कीमत कम होती रही।

1 रूपये कितने पैसे होंगे ये फैसला सन 1957 में लिया गया और इसे 100 पैसा किया गया।

इससे पहले लोग इसे 16 आने में बांटते थे।

जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था उस समय अगर अंग्रेज चाहते तो भारत की करेंसी पाउंड में होती पर उस समय हमारा रुपया बहुत मजबूत होने के कारण इसे पाउंड में करना संभव नहीं था।

भारतीय नोटों के बारे में तथ्य :-

भारत में एक सर्वे के मुताबिक यह पाया गया कि इस समय भारत में 400 करोड़ रुपए के नकली नोट मौजूद हैं।

अगर आपके पास कोई सा भी नोट किसी भी तरह से फट गया हो या आधा ही फट गया हो तो भी आप उसे बैंक में जाकर बदल सकते हैं।

भारतीय नोटों के सीरियल नंबर में I , J ,O , X  ,Y , Z  अक्षर को नहीं रखा जाता है। यह सुरक्षा के कारणों से किया जाता है।

हर भारतीय नोट में किसी न किसी की तस्वीर छपी होती है और हर नोट पे उसकी कीमत को 15 भाषाओ में लिखा जाता है।

भारतीय नोट और सिक्के किस से बनाये जाते है ?

 

क्या आप जानते हैं भारतीय नोट किसी आम कागज से नहीं बने होते हैं बल्कि इसे बनाने के लिए कॉटन का उपयोग किया जाता है।

यह कॉटन इतने मजबूत होते हैं कि अगर आप किसी भी नोट के दोनों सिरों पर पकड़ कर खींचे भी तो वह नोट नहीं फटेगा।

5 रूपये का सिक्का

एक समय ऐसा था जब  बांग्लादेश  ब्लेड बनाने के लिए भारतीय सिक्कों का इस्तेमाल किया करता था।

बांग्लादेश एक 5 रुपयों  के सिक्के से वह 6 ब्लेड बनाया करता था।

उस समय बांग्लादेश में एक ब्लेड की कीमत 2 रुपया हुआ करता था।

इसलिए ब्लेड बनाने वाली कंपनियों को इससे बहुत मुनाफा हुआ करता था।

इसे देखते हुए भारत सरकार ने सिक्के बनाने के लिए मेटल को ही बदल दिया।

आजादी के बाद सिक्के तांबे के बना करते थे।

उसके बाद सन् 1964 में इसे बदलकर एलुमिनियम का और 1988 में इसे बदलकर स्टेनलेस स्टील का  कर दिया गया।

महात्मा गांधी जी की फोटो :-

क्या आपको पता है कि भारत के नोटों पर जो महात्मा गांधी की फोटो है वह कब खींची गई थी जी हां जब महात्मा गांधी तत्कालीन वर्मा और भारत में ब्रिटिश शक्ति के रूप में कार्यरत फ्रेडरिक पैथिक लोरेंस के साथ कोलकाता स्थित वायसराय हाउस में मुलाकात करने गए थे तब यह फोटो ली गई थी जो आज भी भारतीय नोटों की पहचान है

Amit Shrivastava

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