बैंकॉक में नकल रोकने के लिए एंटी चीटिंग हेलमेट पहनाए जाते हैं, ताकि विद्यार्थी अपने अगल-बगल में एक दूसरे का पेपर ना देख सके !

शिक्षा का व्यावसायीकरण बढ़ा है वहीं छात्रों में नकल को लेकर तरीकों में इजाफा भी हुआ है। तकनीक के इस दौर में परीक्षाओं में नकल करने के साधन इतने बढ़ चुके है। जिस पर रोक लगाना परीक्षा निरीक्षक के लिए एक चुनौती जैसा है।
जानकर आपको हैरानी होगी कि! यह अजीबोगरीब तरीका आज भी देखने को मिल जाता है। कुछ साल पहले थाइलैंड में बैंकाक के एक यूनिवर्सिटी में  नकल रोकने के लिए एंटी चीटिंग हेलमेट पहनाए जाते हैं। ताकि विद्यार्थी अपने अगल-बगल में एक दूसरे का पेपर ना देख सके। इस हेलमेट को एक विद्यार्थी ने ही बनाया था।

वैसे परीक्षाओं में नकल करना कोई आज के समय की बात नहीं है। अठारहवीं शताब्दी में स्कूली परीक्षाओं में नकल को रोकने के लिए ‘एंटी चीटिंग हैट्स’ का निर्माण किया गया था। ये एक तरह की टोपी है जिसे पहनने के बाद विद्यार्थी केवल डेस्क पर रखे अपने अंसरशीट को ही देख सकता है। अगर गलती से उसने अपना सर हिलाया तो दूर से परीक्षा निरीक्षक को पता चल जाता था कि सामने वाले डेस्क पर कुछ हरकत हो रही है।

आपको बता दें कि साल 2013 में थाईलैंड में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था। यहां भी नकल रोकने के लिए छात्र-छात्राओं को पेपर शीट से बना एंटी चीटिंग हेलमेट पहनाया गया था।

लोगों का कहना है कि ! इस तरह की हिंसा के खिलाफ कठोर कदम उठाया जाना चाहिए। ऐसी गतिविधियों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। लोगों का मानना है कि! शिक्षक को बर्खास्त करके छात्रों के साथ हो रहे इस तरह के अपमान को रोका जा सकता है। हालांकि कुछ लोग शिक्षक के इस अनोखे तरीके की प्रशंसा भी कर रहे हैं। लोगों का मानना है कि इस तरीके से छात्रों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता बल्कि ऐसी परीक्षा बहुत सीख देती है।

परीक्षा के दौरान नकल रोकने के लिए, प्रशासन की ओर से कई कदम उठाए जा रहे हैं।  यह सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया और और अब सरकार की ओर से कॉलेज प्रशासन को इस पर नोटिस भी जारी करते हैं। जिसमें सफाई मांगी जाती हैं की! प्रशासन ने किस कथित तौर पर छात्रों को नकल से रोकने के लिए, हेलमेट की शक्‍ल में, सिर पर गत्‍ते के डिब्‍बे पहना दिए।

परन्तु कई यूनिवर्सिटी आज इसका प्रयोग बड़े-बड़े एग्जाम में नकल  रोकने के लिए करती है। जिसमें छात्र पूरा ध्यान अपने एग्जाम पर केंद्रित कर सके। और इससे नकल प्रकरण को भी रोका जा सके। और कई यूनिवर्सिटी इस प्रयोग में सफल भी हो रही है।

suraj yadav

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