शोले फिल्म बॉलीवुड के इतिहास का एक मील का पत्थर है। फिल्म का हर एक किरदार और हर एक डायलॉग आज भी याद किया जाता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि! इस फिल्म के एक सीन में धर्मेंद्र के कारण अमिताभ बच्चन की जान खतरे में पड़ गई थी।
1975 में रिलीज हुई फिल्म ‘शोले’ आज भी हिंदी सिनेमा की सबसे बेहतरीन फिल्म मानी जाती है. अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, जया भादुड़ी, संजीव कुमार और अमजद खान के जैसे सिनेमा के दिग्गजों से सजी इस फिल्म ने दर्शकों का खूब दिल जीता। और ये सिलसिला आज भी जारी है। इस फिल्म का भी अपना एक इतिहास रहा। जिसके बारे में शायद ही लोग जानते हैं. वहीं खबरों की मानें तो फिल्म के एक सीन में जब धर्मेंद्र शूटिंग कर रहे थे। तब अमिताभ बच्चन को असली गोली लगते-लगते रही थी।
ये घटना तब हुई जब टीम फिल्म के उस सीन को शूट कर रही थी। जिसमें जय को वीरु और बसंती को बचाना था। जिसके लिए शोले के एक्शन-डायरेक्टर ने सीन को रीयल दिखाने के लिए असली गोलियां मंगाई थी। असली गोलियों से भरे बॉक्स को धर्मेंद्र के पास रखा गया था। उन्हें उस बॉक्स को खोलना था। मगर शूटिंग के दौरान, धर्मेन्द्र, बहुत सारे रीटेक के बाद भी गोलियों का डब्बा नहीं खोल सके।

वीरू अंत में कई रीटेक देने के बाद, बंदूक की गोलियों वाला बॉक्स खोलने में कामयाब हो जाते हैं।सीन के हिसाब से धर्मेंद्र को बॉक्स को लात मार कर, बंदूक की गोलियां, अपनी जेब में रखनी थी। मगर वो बदूंक में गोलियां भर देते हैं, जिसके बाद असली गोलियों से भरी बंदूस से, जब धर्मेंद्र ने फायरिंग शुरू की, तो वहां मौजूद सब लोग डर गए। जिसमें से एक गोली अमिताभ के पास से गुज़री।
इन सबके बीच लोगों को लगा कि अमिताभ गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। हालांकि, वो सुरक्षित थे. बताया जाता है की ! धर्मेंद्र ने इस हरकत पर अमिताभ बच्चन और डायरेक्टर रमेश सिप्पी से माफी भी मांगी थी। शोले की शूटिंग के दौरान एक और किस्सा फेमस है। दरअसल शोले की शूटिंग के दौरान ही धर्मेंद्र और हेमा मालिनी करीब आए थे।
भारतीय फिल्मों के इतिहास में ‘शोले’ एक ऐसी फिल्म है, जिसे बार-बार देखने की इच्छा होती है। 15 अगस्त, 1975 को रिलीज हुई थी। इस फिल्म के कई कलाकार जीवित हैं, तो कुछ गुजर गए। ‘शोले’ के निर्देशक रमेश सिप्पी और फिल्म के कलाकार धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन, संजीव कुमार, हेमा मालिनी, जया भादुड़ी, हेलेन, जगदीप, असरानी और पटकथा लेखक सलीम-जावेद ने फिल्म को यादगार बना दिया। वर्ष 2002 में ब्रिटिश फिल्म इंस्टीट्यूट ने एक सर्वे में ‘शोले’ को सर्वकालिक टॉप टेन भारतीय फिल्मों की श्रेणी में शामिल किया।
यह पहली भारतीय फिल्म है जिसमें स्टीरियोफोनिक साउंड ट्रेक का इस्तेमाल किया गया और 70 एमएम के स्क्रीन पर दिखाई गई। इसकी शूटिंग 3 अक्तूबर, 1973 को शुरू हुई थी और कुल ढाई साल में यह फिल्म बनकर तैयार हुई, फिल्म के कुछ दृश्यों को काटने-छांटने के बाद 15 अगस्त, 1975 को देशभर में रिलीज किया गया।