KIDDERPORE PORT दुनिया का सबसे पुराना बंदरगाह भारत के कोलकत्ता में स्थित है।

KIDDERPORE PORT

KIDDERPORE PORT का इतिहास :-

 

कोलकाता स्थित Kidderpore port जिसे हम कोलकाता बंदरगाह के नाम से भी जाने जाते हैं।

Kidderpore port हमारे देश की सबसे पुरानी बंदरगाह है।

यह हमारे इतिहास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है इस बंदरगाह का निर्माण सन 1892 में खिदिरपुर में कराया गया था।

खिदिरपुर में दूसरे बंदरगाह के निर्माण वर्ष 1902 में हुआ था।

उद्घाटन के बाद Kidderpore port में बहुत अधिक आवाजाही होने के कारण यहां केरोसिन की अधिक आवश्यकता होने लगी।

जिसके फलस्वरूप यहां पर सन 1896 में कोलकाता में बज-बज में एक पेट्रोलियम घाट का निर्माण किया गया।

पुर्तगालियों ने पहली बार 16 शताब्दी में इस बंदरगाह का उपयोग अपने जहाजों को आश्रय देने के लिए किया था।

क्योंकि हुगली नदी कोलकाता के ऊपरी क्षेत्र में जहाज को रखना असुरक्षित था।

ईस्टइंडिया कंपनी के  कर्मचारी जॉब चरनॉक ने सन 1690 में इस स्थान पर एक व्यवसायिक केंद्र की स्थापना की ।

यह क्षेत्र  तीनों तरफ से जंगलों से घिरा हुआ होने के कारण यह दुश्मनों के आक्रमणों से सुरक्षित था।

साल 2020 में एयरपोर्ट 150 वर्ष पूरा कर लिया है।

इसके साथ ही यह दुनिया का सबसे पुराना पोर्ट या बंदरगाह बन गया है।

कोलकाता का आकार और यहां व्यवसायिक महत्व बढ़ने के साथ-साथ यहां के व्यापारियों ने 1863 में एक बंदरगाह  का मांग करा ।

सन 1925 में मालवाहक जहाज को समायोजित करने के लिए गार्डन रिच नामक गोदी बाड़े की स्थापना की गई।

जापान द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस बंदरगाह पर बमबारी भी की गई थी।

स्वतंत्रता के बाद भारत के अन्य राज्यों के बंदरगाह जैसे कि मुंबई ,कांडला ,चेन्नई और विशाखापट्टनम जैसे बंदरगाह का उपयोग मालवाहक यातायात के लिए किए जाने के कारण कोलकाता के बंदरगाह ने अपना प्रमुख स्थान खो दिया।KIDDERPORE PORT

कोलकत्ता बंदरगाह के सामने चुनौतियां :-

 

हाल ही में भारत सरकार द्वारा कोलकाता के बंदरगाह का नाम चेंज करके इसे डॉक्टर श्याम प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखने की घोषणा की है यह घोषणा 12 जनवरी को की गई थी।

इस बंदरगाह का उपयोग 1837 में ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा भारत से मजदूरों को अन्य देशों में ले जाने के लिए भी किया जाता है।

यह बंदरगाह देश का इकलौता ऐसा बंदरगाह है जो समुद्र में नहीं बल्कि समुद्र से 203 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हुगली नदी पर बना है।

हुगली नदी का बहाव सीधा न होने के कारण यहां की आवाजाही बहुत ही कठिन है।

सन 1975 में निर्मित फरक्का बराज ने किस बंदरगाह की समस्या को तब काफी कम कर दिया जब गंगा के पानी को भागीरथी हुगली नदी प्रणाली की तरफ मोड़ दिया गया था।

इस मार्ग को वर्ष भर वाहन योग्य बनाए रखने के लिए निष्कर्ष संबंधी गतिविधियां चलती रहती है।

जिससे कि इसमें मालवाहक जहाजों का आवागमन बना रहे।

Amit Shrivastava

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