सन 1929 में पारले जी कंपनी की शुरुआत की थी और सन 1939 में पारले जी बिस्किट का उत्पादन शुरू किया गया था!

हम बचपन से पारले जी बिस्कुट खाते आ रहे हैं। और सभी बच्चों का यह फेवरेट होता है। पारले जी बिस्कुट के साथ कई पीढ़ियों की यादें जुड़ी हुई है। आज भी इसकी पापुलैरिटी में कोई कमी नहीं आई है। सन 2011 में नीलसन द्वारा किए गए दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाला यह एक बिस्कुट है।

भारत देश में शायद ही ऐसा कोई होगा जिसने कभी parle-g नहीं खाया होगा। आज भी लोग किसको चाय के साथ पसंद करते हैं। इसके बिना हमारी सुबह अधूरी रह जाती है। यह स्वादिष्ट एवं सबसे सस्ता बिस्कुट पूरे भारत में प्रसिद्ध है। क्या आप जानते हैं! कि इसकी शुरुआत कब हुई। आइए आज हम आपको बताते हैं।

पारले जी  सन 1939 से इस कंपनी ने बिस्किट बनाना शुरू किया था।
इस कंपनी का बिस्किट का कुल बिजनेस 27 करोड़ के आसपास है। कंपनी के संस्थापक स्वदेशी आंदोलन से काफी प्रभावित थे उनका टेक्सटाइल का बिजनेस हुआ करता था। पारले प्रोडक्ट के कैटेगरी हेड कृष्णा राव बताते हैं। कि सन 1929 में यह कंपनी शुरू हुई थीm और जब यह कंपनी शुरू हुई तो सिर्फ ऑरेंज कैरियर और किस्मी टॉफी बनाती थी। कंपनी ने ₹75000 में एक फैक्ट्री खरीदी और जर्मनी से मशीन मंगाना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने बिस्किट का उत्पादन शुरू किया। सन् 1940 में बिस्किट बनाने की शुरुआत की तब से इसे पारले ग्लूको बिस्किट के नाम से जाना गया। बाद में इसका नाम बदलकर सिर्फ parle-g कर दिया गया। पहले इसके कवर पर गाय और ग्वालन बनी होती थी। लेकिन बाद में उसे एक बच्ची के फोटो में रिप्लेस कर दिया।और इस बिस्किट का कलर शुरू से ही सफेद और पिला रहा है।

इस बिस्किट पर दिखने वाली बच्ची अभी तक किसी ने नहीं पहचाना है। बस यह दावा किया गया है कि नीरू देशपांडे, सुधा मूर्ति, और गुंजन गंडारिया नाम की 3 महिलाओं ने इस बच्ची होने का दावा किया जाता है। लेकिन मीडिया ने नीरू देशपांडे को यह बच्ची माना है। नीरू के इस फोटो के पीछे की कहानी है कि जब वह साढ़े चार साल की थी। तब उसके पापा ने यह फोटो खींची थी वह कोई प्रोफेशनल फोटोग्राफर नहीं थे।वह फोटो किसी के हाथ लग गई जिसकी पारले वालों से जान पहचान थी। और उन्हें इस पारले जी बिस्किट  पैकेट पर फीचर होने का मौका मिल गया। हालांकि नेहरू अब 62 साल की एक महिला हो चुकी है।

जानकारी के मुताबिक यह भी बताया जाता है कि! जो लड़की पहले के पैकेट पर है वह एक काल्पनिक चित्र है।उसका किसी भी व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। इसे सब नीरू देशपांडे को मानते हैं लेकिन जानकारी के मुताबिक यह सच नहीं है। पहले पैकेट पर लगी बच्ची का चित्र एवरेस्ट क्रिएटिव मगनलाल दैया ने 1960 में बनाया था।

• पारले जी ने अपना पहला विज्ञापन 1982 में दिया था इस विज्ञापन में एक बूढ़े दादा जी और बच्चों को दिखाया गया था।

• भारत में बिक्री के मामले में पारले जी नंबर वन पर है भारत में 70 परसेंट बिस्किट पारले ही बनता है।

• भारत के बाद parle-g चीन में खाया जाता है।

• 2010 में parle-g दुनिया का चौथा सबसे ज्यादा खाया जाने वाला बिस्किट था।

suraj yadav

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